देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
O Lord! I beseech Your aid and seel your divine blessing at this pretty moment. Save and protect me. Wipe out my enemies with Your Trishul. Release me from your torture of evil feelings.
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ जानौं॥
मंत्र महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे shiv chalisa lyricsl जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
अगर आपको यह चालीसा पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? shiv chalisa lyricsl - प्रेरक कहानी
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥